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कोकरनाग: ब्रेंगी नाले पर बने गड्ढे की जांच में जुटे कश्मीर विवि और एनआईटी विशेषज्ञ, परिस्थितियों का आकलन कर रहा जांच दल 

अमृतपाल सिंह बाली, श्रीनगर Published by: विमल शर्मा Updated Fri, 18 Feb 2022 12:55 PM IST
सार

अनंतनाग के ब्रेंगी नाले पर बने गड्ढे की जांच के लिए मौके पर कई टीमें पहुंचीं। जांच दल एक-दो दिन में अनंतनाग उपायुक्त को सौंपी जाएगी रिपोर्ट। विशेषज्ञों के मुताबिक दक्षिण कश्मीर में स्थित चूना पत्थरों की चट्टानों के पानी के संपर्क में आने पर भी बनते हैं इस तरह के गड्ढे। 
 

Kokernag: Kashmir University and NIT experts engaged in the investigation of the pit built on the Brengi drain
कोकरनाग में नदी के बीच बना गड्ढा - फोटो : संवाद

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अनंतनाग जिले के वंदेवलगाम गांव से गुजरने वाले ब्रेंगी नाले की मुख्य धारा में बने गड्ढे की जांच में जुटे विशेषज्ञ दो दिनों में अनंतनाग उपायुक्त को सौंपेंगी। कश्मीर विश्वविद्यालय व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी श्रीनगर की टीमें इसकी मुकम्मल रिपोर्ट तैयार करेंगी। 12 फरवरी को प्राकृतिक रूप से बने इस गड्ढे के कारणों का पता लगाने के लिए अनंतनाग प्रशासन ने एक टीम का गठन किया था। जिसमें कश्मीर विवि भू विज्ञान विभाग और एनआईटी के विशेषज्ञों को शामिल किया गया।

जांच टीम में शामिल एक सदस्य के अनुसार यह पूरी तरह प्राकृतिक घटना

यह टीम उस दिन से लगातार मौके पर जाकर वहां की परिस्थितियों का आकलन कर रही है।  जांच टीम में शामिल एक सदस्य के अनुसार यह पूरी तरह प्राकृतिक घटना है। पूरे दक्षिण कश्मीर में चूना पत्थर (लाइमस्टोन) बहुतायत में मौजूद है।

इस तरह का गड्ढा बनने में दशकों लगते हैं 

चूना पत्थर जब पानी के संपर्क आता है तो उसमें रासायनिक क्रिया होती है। उससे चट्टानों में दरारें विकसित होती हैं और घुल जाती हैं। इसके कारण विशाल गुफाएं (गड्ढे) बन जाती हैं। यह एक दिन में नहीं होता। इस तरह का गड्ढा बनने में दशकों लगते हैं। 
 

15 मीटर है गड्ढे का व्यास

नाले के प्रवाह में बने गड्ढे का व्यास लगभग 15 मीटर है। नाले का पानी डायवर्ट भी किया गया है, लेकिन कुछ पानी अभी भी गड्ढे में जा रहा है। आगे यह पानी कहां जा रहा है इसके बारे में अभी कुछ पता नहीं लग पाया है।

 

लोगों को घबराने की जरूरत नहीं: एसडीएम  

कोकरनाग एसडीएम सारिब सहरान ने बताया कि कमेटी की रिपोर्ट शीघ्रही डीसी अनंतनाग को सौंपेंगे। सहरान ने कहा कि इसके कई कारण बताए गए हैं जिसको अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। यह एक प्राकृतिक घटना है जिसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। हमें जल्दी काम करने की जरूरत है क्योंकि नाले में जलस्तर बढ़ने की आशंका है।
 

पानी का एक जगह संग्रहण खतरनाक
दक्षिण कश्मीर में झरनों और सिंकहोल की घटना के बीच सीधासंबंध है। अनंतनाग में कार्बोनेटेड चट्टानों वाले क्षेत्रों में भूमिगत गुफाएं बनती हैं। अच्छाबल, वेरीनाग, कुकरनाग जैसे झरनों में इस प्रकार की चट्टानें मौजूद है। यह इन झरनों के नीचे गुफाओं वाला चट्टानों का संजाल फैला हुआ है जो झरनों में पानी के प्रवाह को बनाए रखता है। ब्रेंगी नाले के गड्ढे को भरा नहीं जाना चाहिए। हमें तुरंत यह पता लगाने की जरूरत है कि पानी कहां जा रहा है। अच्छाबल में जल स्तर नहीं बढ़ा है, जिसका अर्थ है कि यह कहीं और स्थानांतरित हो गया है। इसका एक जगह एकत्रित होना खतरनाक है। इससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि पानी को भी डायवर्ट किया जाना चाहिए। - प्रोफेसर गुलाम जिलानी,  एचओडी, भू विज्ञान विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय 

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