58 साल के थे अमिताभ बच्चन जब वह हिंदी सिनेमा में ‘हीरो’ बने रहने का मोह छोड़ पाए। उनके बेटे अभिषेक बच्चन ये जोखिम 14 साल पहले से उठा रहे हैं। वह हीरोगिरी करना छोड़ असल एक्टिंग करना शुरू कर चुके हैं। फिल्म ‘गुरु’ में अपने अभिनय की जो झलक अभिषेक बच्चन ने 14 साल पहले दिखाई थी, उसके बाद से वह लगातार ऐसी फिल्में तलाशते रहे हैं, जिनमें उन्हें अभिनय करने का मौका मिले। सुपरस्टार बनने की चाहत तो वह कब की छोड़ चुके हैं। वह अब एक काबिल कलाकार बनने का संघर्ष कर रहे हैं और वह कहते भी हैं कि सिर्फ अभिषेक बच्चन ही क्यों, कोई भी हो। जीवन में संघर्ष तो आपको करना ही पड़ेगा। जिस काम के लिए आपने प्रण लिया है, उसकी तैयारी तो करनी ही पड़ेगी। हर काम के लिए आप एक योजना के तहत कोई तैयारी करते हैं लेकिन वह काम नहीं आया तो आपको हमेशा प्लान बी तैयार रखना होता है। जीवन भी वैसा ही है।
और, अपने बेटे की इस सोच से अमिताभ बच्चन भी सौ फीसदी सहमत दिखते हैं। तभी तो उन्होंने फिल्म ‘बॉब बिस्वास’ की रिलीज से ठीक पहले ट्वीट भी किया। अमिताभ ने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की एक पंक्ति को उद्धृत करते हुए लिखा, "मेरे बेटे, बेटे होने से मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे । जो मेरे उत्तराधिकारी होंगे, वो मेरे बेटे होंगे।" अभिषेक बच्चन से भी इस पर रहा नहीं गया। वह अपने लिए ये टिप्पणी पढ़कर फूलकर कुप्पा तो जरूर हुए होंगे। उन्होंने अपने पिता के इस ट्वीट पर लिखा, ‘बस। अब और क्या चाहिए।’
अभिषेक बच्चन की शुक्रवार को सीधे ओटीटी पर रिलीज हो रही फिल्म ‘बॉब बिस्वास’ मैंने देख ली है। इसके बारे में रिलीज के दिन तक बात करने की मनाही है, तो इस बारे में अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा। लेकिन, इस फिल्म में अभिषेक ने अपना चेहरा मोहरा पूरी तरह फिल्म के किरदार ‘बॉब बिस्वास’ जैसा ही कर लिया है। फिल्म दर्शकों को तो याद ही होगा कि ये किरदार पहली बार सुजॉय घोष निर्देशित विद्या बालन की फिल्म ‘कहानी’ में नजर आया था। इस बारे में पूछे जाने पर अभिषेक के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है।
फिल्म ‘बॉब बिस्वास’ में अपने लुक्स के बारे में अभिषेक बच्चन कहते हैं, ‘मेरा हमेशा ये मानना रहा है कि किसी फिल्म में आपका जो किरदार है, अगर आप उसके जैसे ठीक से दिख सके तो आपका आधा काम वहीं हो जाता है। सिनेमा दृश्य श्रव्य माध्यम है। अगर एक कलाकार दिए गए किरदार की तरह ही दिखता है, उसके जैसा ही चलता बोलता और हंसता है तो अभिनय की आधी जीत वहीं हो जाती है। मैंने हमेशा से ये कोशिश की है कि मुझे ऐसे किरदार मिलें जो देखने में बिल्कुल अलग हों।’
अभिषेक बच्चन के अभिनय का असली सफर मणिरत्नम की फिल्म ‘गुरु’ से माना जाता है। इस फिल्म का जिक्र चलने पर अभिषेक कहते हैं, ‘फिल्म ‘गुरु’ आपको अब तक याद है। तो 14 साल पहले मैंने ये निर्णय लिया कि मैं एक 65 से 80 साल के वृद्ध का किरदार करूंगा। तब मैं 29-30 साल का था, मैं बोल सकता था कि मैं तो हीरो हूं, मैं ऐसा रोल क्यों करूं, लेकिन नहीं। आपने अभी जैसे कहा कि लोग एक कहानी देखने आते हैं, उसके किरदार देखने आते हैं। अभिषेक बच्चन में उन्हें दिलचस्पी नहीं हैं। उनकी रुचि गुरुकांत देसाई या बॉब बिस्वास हो सकती है। और, ये रुचि किसी फिल्म को देखने का निर्णय लेने के साथ ही दर्शकों के मन में बननी शुरू हो जाती है।’