साल 1948 में हिमाचल के गठन के बाद प्रदेश ने अब तक दिन दोगुनी रात चौगुनी उन्नति की। बात चाहे आधारभूत ढांचे के विस्तार की हो या फिर खुशहाली की, देवभूमि विकास की राह पर सरपट दौड़ती चली गई। हिमाचल देवी-देवताओं और वीरों की भूमि ही नहीं हुनरमंद हाथों की भी जननी है। प्रदेश में हस्तशिल्प और हथकरघा के समृद्ध खजाने को यहां के शिल्पी और बुनकरों के हुनरमंद हाथ न सिर्फ संवार रहे हैं बल्कि मजबूती से आगे भी बढ़ा रहे हैं।
इन दशकों में गांव से लेकर शहरों की तस्वीर भी बदली है।
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