भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैयादूज के नाम से जाना जाता है। भैयादूज के दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। बहनें रीति रिवाज से अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी दीर्घायु व शुभ मंगल की कामना करती हैं। वहीं भाई भी बहन के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन का संकल्प लेते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस पर्व की पौराणिक कथा सूर्य पुत्र यम व पुत्री यमुना से जुड़ी हुई है।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि छह नवंबर को इस बार यम द्वितीया शनिवार को मनाई जाएगी। इस दौरान तिलक के लिए दो घंटे 11 मिनट का मुहूर्त मिलेगा। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पांच नवंबर को रात्रि 11:14 बजे से आरंभ होकर छह नवंबर को शाम 7:44 मिनट पर समाप्त होगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस पर्व की पौराणिक कथा सूर्य पुत्र यम व पुत्री यमुना से जुड़ी हुई है।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि छह नवंबर को इस बार यम द्वितीया शनिवार को मनाई जाएगी। इस दौरान तिलक के लिए दो घंटे 11 मिनट का मुहूर्त मिलेगा। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पांच नवंबर को रात्रि 11:14 बजे से आरंभ होकर छह नवंबर को शाम 7:44 मिनट पर समाप्त होगी।