भारत रत्न लता मंगेशकर को काशी से लगाव था लेकिन बनारस से उनके जुड़े अनुभव बेहद कड़वे भी थे। यही कारण था कि दो बार बनारस आने के बाद वह फिर कभी बनारस नहीं आईं। लता मंगेशकर के ज्योतिषी सलाहकार स्वामी ओमा द अक ने बताया कि दीदी के दिल में बनारस बसता था लेकिन बनारस से उनकी कड़वीं यादें जुड़ी हुई थीं।
लता दीदी से जब मैंने पूछा कि वह बनारस क्यों नहीं आती हैं तो उन्होंने ही पुरानी यादों का जिक्र करते हुए बताया था कि जब वह बनारस आई थीं तो बीएचयू में कार्यक्रम के दौरान मंच पर वह शास्त्रीय संगीत गा रही थीं। क्लासिकल बंदिश जैसे ही खत्म हुई तो छात्रों ने फिल्मी गीतों की मांग शुरू कर दी। इसके बाद तो उन्होंने मंच छोड़ दिया। उन्हें बेहद दुख हुआ था।
लता दीदी से जब मैंने पूछा कि वह बनारस क्यों नहीं आती हैं तो उन्होंने ही पुरानी यादों का जिक्र करते हुए बताया था कि जब वह बनारस आई थीं तो बीएचयू में कार्यक्रम के दौरान मंच पर वह शास्त्रीय संगीत गा रही थीं। क्लासिकल बंदिश जैसे ही खत्म हुई तो छात्रों ने फिल्मी गीतों की मांग शुरू कर दी। इसके बाद तो उन्होंने मंच छोड़ दिया। उन्हें बेहद दुख हुआ था।