प्रवीण कुमार, संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर
Published by: Krishan Singh
Updated Fri, 03 Dec 2021 10:27 AM IST
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में मिड-डे मील योजना की ग्रांट रुक गई है। इससे प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के खाते में आने वाली राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। प्रदेश के स्कूल प्रभारियों को एचडीएफसी बैंक में खाते खोलने के आदेश जारी होने के बाद यह समस्या पेश आ रही है। कई जिलों में स्कूल दुर्गम क्षेत्रों में हैं, जहां एचडीएफसी बैंक की ब्रांच नहीं है। इस कारण स्कूलों को खाता खोलने में परेशानी हो रही है। कई जगह शिक्षक स्कूल से 20 से 30 किलोमीटर सफर कर एचडीएफसी बैंक की शाखाओं में खाता खोलने पहुंच रहे हैं। प्रदेश के सभी स्कूलों के बैंक खाते मिड-डे मील से न जुड़ने के कारण भुगतान रुका है।
केंद्र सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठवीं तक बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। कोविड-19 के कारण स्कूलों में मिड-डे मील पकाने और परोसने पर फिलहाल रोक है। इसके चलते विद्यार्थियों को चावल दिए जा रहे हैं। दालें और अन्य खाद्य सामग्री तथा पकाने के खर्च के रूप में हर विद्यार्थी के खाते में प्रतिमाह 7 रुपये 45 पैसे डायरेक्ट बेनिफिट योजना के तहत डाले जा रहे हैं। पांचवीं से आठवीं कक्षा तक प्रदेश में करीब साढ़े पांच लाख विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।
कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को प्रतिमाह 100 ग्राम चावल, कक्षा छठी से आठवीं तक हर विद्यार्थी को 150 ग्राम चावल दिए जा रहे हैं। प्रत्येक विद्यार्थी के बैंक खाते में 7 रुपये 45 पैसे जमा करवाए जा रहे हैं। अगस्त के भुगतान के बाद यह राशि विद्यार्थियों के खाते में नहीं आ रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारी मिड-डे मील योजना में विद्यार्थियों के खाते में निर्धारित राशि का भुगतान न होने के पीछे निजी बैंक में खाता खोलने के लिए पेश आ रही परेशानी का तर्क दे रहे हैं। उधर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग हमीरपुर के उपनिदेशक संजय कुमार ठाकुर ने बताया कि निदेशालय में बात की जा चुकी है। स्कूलों के बैंक खाते एचडीएफसी में खोले गए हैं। कई स्कूल दुर्गम क्षेत्रों में हैं, जहां एचडीएफसी की ब्रांच नहीं है। इस कारण विद्यार्थियों के बैंक खाते योजना से नहीं जुड़ पा रहे हैं। समस्या के शीघ्र समाधान का प्रयास किया जा रहा है।
विस्तार
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में मिड-डे मील योजना की ग्रांट रुक गई है। इससे प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के खाते में आने वाली राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। प्रदेश के स्कूल प्रभारियों को एचडीएफसी बैंक में खाते खोलने के आदेश जारी होने के बाद यह समस्या पेश आ रही है। कई जिलों में स्कूल दुर्गम क्षेत्रों में हैं, जहां एचडीएफसी बैंक की ब्रांच नहीं है। इस कारण स्कूलों को खाता खोलने में परेशानी हो रही है। कई जगह शिक्षक स्कूल से 20 से 30 किलोमीटर सफर कर एचडीएफसी बैंक की शाखाओं में खाता खोलने पहुंच रहे हैं। प्रदेश के सभी स्कूलों के बैंक खाते मिड-डे मील से न जुड़ने के कारण भुगतान रुका है।
केंद्र सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठवीं तक बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। कोविड-19 के कारण स्कूलों में मिड-डे मील पकाने और परोसने पर फिलहाल रोक है। इसके चलते विद्यार्थियों को चावल दिए जा रहे हैं। दालें और अन्य खाद्य सामग्री तथा पकाने के खर्च के रूप में हर विद्यार्थी के खाते में प्रतिमाह 7 रुपये 45 पैसे डायरेक्ट बेनिफिट योजना के तहत डाले जा रहे हैं। पांचवीं से आठवीं कक्षा तक प्रदेश में करीब साढ़े पांच लाख विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।
कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को प्रतिमाह 100 ग्राम चावल, कक्षा छठी से आठवीं तक हर विद्यार्थी को 150 ग्राम चावल दिए जा रहे हैं। प्रत्येक विद्यार्थी के बैंक खाते में 7 रुपये 45 पैसे जमा करवाए जा रहे हैं। अगस्त के भुगतान के बाद यह राशि विद्यार्थियों के खाते में नहीं आ रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारी मिड-डे मील योजना में विद्यार्थियों के खाते में निर्धारित राशि का भुगतान न होने के पीछे निजी बैंक में खाता खोलने के लिए पेश आ रही परेशानी का तर्क दे रहे हैं। उधर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग हमीरपुर के उपनिदेशक संजय कुमार ठाकुर ने बताया कि निदेशालय में बात की जा चुकी है। स्कूलों के बैंक खाते एचडीएफसी में खोले गए हैं। कई स्कूल दुर्गम क्षेत्रों में हैं, जहां एचडीएफसी की ब्रांच नहीं है। इस कारण विद्यार्थियों के बैंक खाते योजना से नहीं जुड़ पा रहे हैं। समस्या के शीघ्र समाधान का प्रयास किया जा रहा है।