आगरा। बोर्ड परीक्षाओं की बेला नजदीक आ रही है। यूपी बोर्ड के कुछ विद्यालयों में प्री-बोर्ड परीक्षाएं शुरू भी हो गई हैं। विद्यार्थी परीक्षा के रंग में रंग गए हैं। परीक्षा के नाम पर विद्यार्थी तनावग्रस्त न हों, वह इसे सकारात्मक तरीके से लें, इसके लिए मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के मनोवैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र सिंह यादव और डॉ. साहब सिंह ने कुछ सुझाव दिए हैं। खासतौर पर अब तक की अपनी तैयारियों को विद्यार्थियों को परखना चाहिए। आंकलन करके विषयों की पढ़ाई का समय निर्धारित करना चाहिए। जो कम तैयार हो, उसमें अपेक्षाकृत अधिक समय दें।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षा की विधिवत तैयारी के लिए विद्यार्थियों को समय सारिणी बनानी चाहिए। यह तय करना चाहिए कि कब, क्या और कितना पढ़ना है। कम तैयारी वाले विषयों को ऊपर रखकर अच्छे से पढ़ाई कर लें। एक बाद दूसरे विषय की पढ़ाई के बीच 10 से 15 मिनट का अंतराल जरूर दें। इस बीच में खुद को तरोताजा करने के लिए कुछ खा भी सकते हैं।
विद्यार्थियों को परीक्षा के समय में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौष्टिक भोजन करें। हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, जूस, सूखे मेवे, दूध, पानी खूब पीयें, तली हुई और ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजें खाने से बचें। पौष्टिक भोजन से मानसिक व शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहेंगे।
प्रत्येक विषय के आसान पाठों को विद्यार्थी पहले तैयार करें। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। इससे कठिन पाठ भी आसानी से तैयार हो जाएंगे। विषय वस्तु को प्वाइंट बनाकर पढ़ें। प्वाइंट याद हो जाएंगे, तो प्रश्नों को आराम से हल कर लेंगे। किसी भी विषय का नया पाठ पढ़ने से पहले पढ़े हुए पाठ को दोहराएं जरूर। इससे नया सीखने के साथ पुराना भी मस्तिष्क में बना रहेगा।
परीक्षा के समय विद्यार्थियों को खुद पर और विषय के प्रति सकारात्मक सोच बनाए रखना जरूरी होता है। कोई भी विषय कठिन नहीं होता, यदि विद्यार्थी पूरी रुचि और सही तरीके से उसकी तैयारी करे। विषय के प्रति हमारी नकारात्मक सोच उसे कठिन बना देती है।
विद्यार्थी आमतौर पर परीक्षा और पढ़ाई के दबाव में पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं। देर तक पढ़ाई करते हैं और सुबह जल्दी जग जाते हैं। इससे दिमाग सुस्त हो जाता है और उसकी कार्य क्षमता घट जाती है। दिमाग तभी ठीक से काम करेगा, जब उसे पर्याप्त आराम मिलेगा। अपनी समय सारिणी में सोने के लिए भी पर्याप्त समय रखें। योग, व्यायाम और ध्यान को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। दोपहर में सोने से बचें।
आगरा। बोर्ड परीक्षाओं की बेला नजदीक आ रही है। यूपी बोर्ड के कुछ विद्यालयों में प्री-बोर्ड परीक्षाएं शुरू भी हो गई हैं। विद्यार्थी परीक्षा के रंग में रंग गए हैं। परीक्षा के नाम पर विद्यार्थी तनावग्रस्त न हों, वह इसे सकारात्मक तरीके से लें, इसके लिए मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के मनोवैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र सिंह यादव और डॉ. साहब सिंह ने कुछ सुझाव दिए हैं। खासतौर पर अब तक की अपनी तैयारियों को विद्यार्थियों को परखना चाहिए। आंकलन करके विषयों की पढ़ाई का समय निर्धारित करना चाहिए। जो कम तैयार हो, उसमें अपेक्षाकृत अधिक समय दें।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षा की विधिवत तैयारी के लिए विद्यार्थियों को समय सारिणी बनानी चाहिए। यह तय करना चाहिए कि कब, क्या और कितना पढ़ना है। कम तैयारी वाले विषयों को ऊपर रखकर अच्छे से पढ़ाई कर लें। एक बाद दूसरे विषय की पढ़ाई के बीच 10 से 15 मिनट का अंतराल जरूर दें। इस बीच में खुद को तरोताजा करने के लिए कुछ खा भी सकते हैं।
विद्यार्थियों को परीक्षा के समय में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौष्टिक भोजन करें। हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, जूस, सूखे मेवे, दूध, पानी खूब पीयें, तली हुई और ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजें खाने से बचें। पौष्टिक भोजन से मानसिक व शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहेंगे।
प्रत्येक विषय के आसान पाठों को विद्यार्थी पहले तैयार करें। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। इससे कठिन पाठ भी आसानी से तैयार हो जाएंगे। विषय वस्तु को प्वाइंट बनाकर पढ़ें। प्वाइंट याद हो जाएंगे, तो प्रश्नों को आराम से हल कर लेंगे। किसी भी विषय का नया पाठ पढ़ने से पहले पढ़े हुए पाठ को दोहराएं जरूर। इससे नया सीखने के साथ पुराना भी मस्तिष्क में बना रहेगा।
परीक्षा के समय विद्यार्थियों को खुद पर और विषय के प्रति सकारात्मक सोच बनाए रखना जरूरी होता है। कोई भी विषय कठिन नहीं होता, यदि विद्यार्थी पूरी रुचि और सही तरीके से उसकी तैयारी करे। विषय के प्रति हमारी नकारात्मक सोच उसे कठिन बना देती है।
विद्यार्थी आमतौर पर परीक्षा और पढ़ाई के दबाव में पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं। देर तक पढ़ाई करते हैं और सुबह जल्दी जग जाते हैं। इससे दिमाग सुस्त हो जाता है और उसकी कार्य क्षमता घट जाती है। दिमाग तभी ठीक से काम करेगा, जब उसे पर्याप्त आराम मिलेगा। अपनी समय सारिणी में सोने के लिए भी पर्याप्त समय रखें। योग, व्यायाम और ध्यान को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। दोपहर में सोने से बचें।